सरदार सरदार हेम सिंह भील ।।
भारत के इतिहास मे आदिवासी समुदाय का बहुत ही महत्वपूर्ण योगदान रहा है, फिर भी कही न कही उसे इतिहास मे वो जगह वो सन्मान नही मिला जिसके वो सही मायने मे हकदार थे, फिर भी सदियो से पुरखो द्रारा आदिवासी रीत रिवाज, सामाजिक प्रासंगिक गानो के जरिये पिढी दर पिढी आगे बढाया गया है उसका अध्ययन करके उस महान इतिहास को अपने समाज तक पहुचाना होंगा।
सरदार हेम सिंह भील एक देशप्रेमी सरदार थे। वे बाडमेर के एक मजबूत सरदार थे। सरदार हेम सिंह ने अपने लोगो के बीच मजबूत पकड बना रखी थी। बाडमेर के पहाडी इलाके के नजदीक ही पाकिस्तानी घुसपैठ कर रहे थे, पूरे देश मे भय का माहौल था, भारतीय सेना भी पहाडी इलाके तक पहुंच नही पा रही थी। ऐसे समय मे भारत के वीर सरदार, हेम सिंह ने वो कर दिखाया जो कोई सोच नही सकता।
सरदार हेम सिंह ने पहाडी इलाके के लोगो को इकट्ठा किया, लोगो मे युद्ध करने का जोश भर दिया। पाकिस्तानियो के पास ऑटोमैटिक बंदूके और तोपे थी। वही भीलो ने इस देश के रक्षा के लिए सभी लोगो को एकजुट कर पाकिस्तानियो की तोपो का जवाब अपने जुगाड से दिया, भील लोगो ने धनुष- बाण और पुरानी बंदूके थी। भील सरदार हेम सिंह और उनके साथ कई लोग पाकिस्तानियो से युद्ध करते रहे। पहाडो पर घमासान युद्ध छिडा था, इस बात की जानकारी वहां के अध्यापक सुरेश ने 15 मिल चलकर आर्मी को दी तब आर्मी। तब तक भील बहादुरी से युद्ध करते रहे, कई जाबाज भील योद्धा इस देश के लिए शहीद हो गए। भील सरदार हेम सिंह ने अपने लोगो को बचाया भी और पाकिस्तानियो को इस देश मे घुसने भी नही दिया।
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